वीडियो जानकारी:<br /><br /><br />मन लीन्हो प्यारे चितै, पे छटाक नहीं देत।<br />यह कहा पाटी पढ़ी, दल को पीछो लेत।<br /><br />~ संत रसखान<br /><br />समझें इन पंक्तियों का अर्थ, आचार्य प्रशांत जी द्वारा इस शब्दयोग सत्संग के माध्यम से-<br />_______________________________________________________<br /><br />प्रसंग:<br />रसखान जी की तरह कभी -कभी हमें भी अनुभव होता है क्या ये सही अनुभव है ?<br />ऐसा क्यों लगता है की हमें कृष्ण से कुछ प्राप्त नहीं होने वाला ?<br />निर्विकल्पता और सविकल्पता में क्या अंतर है ?<br /><br />आचार्य प्रशांत<br />शब्दयोग सत्संग<br />२४ नवम्बर २०१८<br />अद्वैत बोध शिविर<br />भोपाल, मध्यप्रदेश<br /><br />संगीत: मिलिंद दाते